सोमवार, 14 मार्च 2011

घर में न लगाएँ कबाड़ का ढेर

1) बाजार जाने से पहले सामन की लिस्ट बनाएँ।
2) हर चीज अपनी तयशुदा जगह में ही रखी जाए।
3) किड्स रूम में अलग-अलग बॉक्स या कंटेनर रखें, ताकि किताबें, स्टेशनरी, खिलौने व्यवस्थित रह सकें और जरूरत खत्म होने पर उन्हें डोनेट किया जा सकता है। सर्दी या गर्मी के कपड़े समेटने से पहले देख लें कि अगले मौसम में ये काम आएँगे या नहीं। तभी उन्हें सहेजे या बाहर रखें।
4) किचन में खाली डिब्बों, शिशियों से लेकर यूँ ही खरीद लिए गए ढेरों खूबसूरत कॉफी मग, क्राकरी सालों साल पड़े रहते हैं। इनका मोह खत्म करें और कम में काम चलाएँ।
5) अपने वार्डरोब में झाँके। कितनी ड्रेसेस पहने बगैर पड़ी हैं। महीनों तक नहीं पहनी गई तो आगे भी नहीं पहनी जाएँगी। ऐसे कपड़े नए हों तो भी जरूरतमंद को देने या किसी संस्था को डोनेट करने से हिचकिचाएँ नहीं। (6) शू रैक का भार बेवजह न बढ़ाएँ। डिजाइनर चप्पलों-सैंडिलों में कितनी वाकई उपयोगी हैं और कितनी सिर्फ रैक की शोभा बढ़ा रही है, देख लें। (7) बाथरूम में खाली सोपकेस से लेकर शैंपू, डियो, स्पे, परफ्यूम्स की खाली बॉटल्स को हटाने से गुरेज न करें।
(8)कागजों का ढेर लिखने पढ़ने वालों का बड़ा सिरदर्द है। संग्रह की जाने लायक किताबों के अलावा बाकी किताबों व मैगजीन से निजात पाएँ। व्यर्थ पेपर या न्यूज कटिंग के ढेर का कोई लाभ नहीं। अब इंटरनेट पर आपको हर विषय पर संदर्भ सामग्री आसानी से मिल सकती है।

इमोशंस क्लटर-फ्री करने में बहुत आड़े आते हैं। यह साड़ी माँ ने वेडिंग एनिवर्सरी पर दी थी, यह एंटीक चेयर मेरे दादू की थी जैसी चीजों के लिए इमोशंस को सहेजें। घूमने गए हैं तो प्राकृतिक स्थल का आनंद लें वहाँ शॉपिंग न करने लगे।

खास कलाकृतियाँ या कपड़े सभी को आकर्षित करते हैं, मगर खरीदने से पहले सोचें कि कितने काम के रहेंगे।

4 टिप्‍पणियां:

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